Virya Stambhan Vati uses in hindi, वीर्य स्तम्भन वटी के फायदे और बनाने की विधि

वीर्य स्तम्भन वटी के फायदे, घटक द्रव्य, निर्माण विधि, मात्रा और सेवन विधि.

Virya Stambhan Vati uses in hindi, वीर्य स्तम्भन वटी के फायदे और बनाने की विधि

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वीर्य स्तम्भन वटी ( Virya Stambhan Vati )

आयुर्वेद में वर्णित यौन स्तम्भन शक्ति बढ़ाने वाले अद्भुत नुस्खे वीर्य स्तम्भन वटी का पूरा विवरण यहाँ प्रस्तुत है :-
Virya Stambhan Vati

वीर्य स्तम्भन वटी के घटक द्रव्य (ingredients of virya stambhan vati ) - पूर्ण चंद्रोदय (सिद्ध मकरध्वज) १ ग्राम, केशर २ ग्राम, जुनदे बेदस्तार ८ ग्राम, लोबान के फूल २ ग्राम, जावित्री २ ग्राम, अकरकरा २ ग्राम, भीमसेनी कपूर २ ग्राम, लौंग २ ग्राम.

वीर्य स्तम्भन वटी निर्माण विधि (virya stambhan vati preparation method ) - ऊपर लिखे सभी द्रव्यों को खरल में डाल कर घोंट लें. जब एकदम महीन हो जाये तब उसमे आवश्यकतानुसार शहद एवं बांग्ला पान का रस मिलकर तब तक घुटाई करें जब तक सारे द्रव्य एक जान न हो जाएँ. फिर इसकी १-१ रत्ती की गोलियां बना लें.

वीर्य स्तम्भन वटी मात्रा और सेवन विधि (virya stambhan vati quantity and dosage ) - १ से २ गोली सुबह शाम दूध के साथ लें. अधिक लाभ के लिए सादे मीठे पत्ते का पान (सुपारी रहित ) बना कर उसमे इसकी २ गोली डाल कर धीरे-धीरे उसका रस उतारें और आधा घंटे बाद दूध पी लें.

वीर्य स्तम्भन वटी के लाभ, गुण व् उपयोग (Advantages and health benefits of virya stambhan vati ) - स्तम्भन शक्ति को बढ़ाने वाली यह विशेष औषधि है. इसके सेवन से वीर्य शुद्ध एवं गाढ़ा होता है तथा शीघ्रपतन की समस्या दूर होती है. इससे पाचन क्रिया भी सुधरती है जिससे शरीर बलवान व् तेजस्वी बनता है.

सिद्ध मकरध्वज, केशर, जावित्री, अकरकरा, भीमसेनी कपूर आदि बहुमूल्य द्रव्यों से निर्मित यह योग आयुर्वेद जगत की परमोत्कृष्ठ औषधि है. वीर्य स्तम्भन वटी शारीरिक व् मानसिक दुर्बलता को मिटा कर शरीर में नवीन शक्ति एवं स्फूर्ति का संचार करती है. पौरुष शक्ति को बढ़ाने तथा शरीर को कांतिमय बनाने के लिए यह सर्वप्रसिद्ध औषधि है. इस वटी का विशेष तथा शीघ्र प्रभाव स्नायविक संसथान, वातवाहिनी नदियों, मस्तिष्क तथा ह्रदय पर होता है अतः यह शरीर में रक्त संचार और स्नायु मंडल को क्रियाशील कर लाभ पहुंचाती है. इसके अतिरिक्त वीर्य स्तम्भन वटी सर्दी-जुकाम, कफ, खांसी, श्वास, फेफड़ों के विकार, नाड़ी क्षीणता आदि रोगों में भी अच्छा काम करती है. वीर्य स्तम्भन वटी के सेवन से रस रक्तादि सातों धातुएं पुष्ट होती हैं जिससे बल, वर्ण, कांति, ओज तथा शारीरिक वज़न की निश्चित रूप से वृद्धि होती है. वीर्य स्तम्भन वटी मधुमेह और इसके कारण उत्पन्न नपुंसकता , धातु दौर्बल्य, शुक्र की क्षीणता, आदि विकारों में भी लाभकारी है. वाजीकारक होने के साथ- साथ यह वटी सर्वोत्तम रसायन व् योगवाही है जिसके कारण इसका प्रयोग त्वचा में झुर्रियों पड़ने, असमय बाल सफ़ेद होना व् झड़ना, शारीरिक कमज़ोरी आदि को रोकता है. वीर्य स्तम्भन शक्ति का निरंतर सेवन करने से रोगप्रतिरोधक शक्ति की अपूर्व वृद्धि होती है. भिन्न भिन्न रोगों में वीर्य स्तम्भन वटी के साथ अलग-अलग सहायक औषधियों का सेवन करने से अधिक लाभ होता है.
वीर्यस्तम्भन वटी के साथ दी जाने वाली सहायक औषधियां इस प्रकार हैं :-
*नपुंसकता - कामचूड़ामणि रस और कौंचपाक
*शारीरिक और मानसिक निर्बलता - विगोजेम टेबलेट एवं अश्वगंधा पाक
*मधुमेह - शिलाप्रमेह वटी या वसंत कुसुमाकर रस
* स्वप्नदोष - वीर्यशोधन वटी.