Skin Care by Ayurveda in hindi, त्वचा देखभाल के आयुर्वेदिक नुस्खे

Ayurveda remedies for skin care, Nimbadi Churna, Svayambhuva Guggul, त्वचा देखभाल के लिए आयुर्वेदिक उबटन और आयुर्वेदिक लेप

Skin Care by Ayurveda in hindi, त्वचा देखभाल के आयुर्वेदिक नुस्खे

Ayurveda remedies for skin care, Nimbadi Churna, Svayambhuva Guggul, त्वचा देखभाल के लिए आयुर्वेदिक उबटन और आयुर्वेदिक लेप

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Ayurveda remedies for skin care, Nimbadi Churna, Svayambhuva Guggul

Everyone loves beauty. Beauty attracts everybody that's why everyone wants to be beautiful. For this it is necessary to take remedial methods and steps to protect the beauty. An important base of the beauty is body's external skin. Here we will discuss and list some Ayurveda Indian home remedies for the protection, treatments and cure from problems related to Skin.

A house looks beautiful when its external walls are neat, clean and are colored well, it is looking bright and there is no visible external damage in it. Human body also look beautiful when skin is clean, stainless, clear, bright and healthy. Any kind of skin disease, skin problem or skin disorder makes the skin ugly. Skin problem or skin disease kill the beauty of skin. Skin is the external layer or cover of the body. And external cover must be healthy and beautiful.

Our skin is the external cover of our body which actually covers and hides the ugliness of the human body. If you imagine a beautiful face without this external cover then that beautiful face will look so scary and horrible. Skin covers the blood, veins, muscles and arteries which when seen without the skin will become extremely horrible and scary. And skin looks beautiful only when our overall health is good. A good internal and overall health is responsible for a healthy and beautiful skin.

Here we are listing the natural remedies and measures for beautiful skin:

1)  Steam bath- taking bath every day is imperative but taking Steam bath once or twice a week is very good for skin. Steam bath not only keeps the skin healthy and beautiful but also helps in reducing obesity and joint pain. Steam bath brings sweating which also keeps the skin clean by throwing out the wastage elements through sweat.

2) Massage – massage keeps the skin strong, polished, bright and healthy. Olive oil is best for skin massage because it can be used for massage for the entire year.

3) Nimbadi Churna (nimbadi choornam)

Nimbadi Churna ingredients: Neem ki chhal, Giloy, Harad, Aamla and Somraji- all 40-40 grams each. Saunth, waayvidang, pawad beej,peepal, ajwain, bach, jeera, kutki, khairchhal, sendha namak, yavakshar, haldi (turmeric) , daaru haldi, naagarmotha, devdaaru and kooth – all 10-10 grams each.  

Nimbadi Churna preparation method: mix and grind thin all the ingredients together and then sieve the prepared powder using a cloth. Your “Nimbadi Churna” is ready.

Nimbadi churna dosage: take 1 spoonful every morning and evening with water.

Nimbadi Churna benefits: Nimbadi Churna is useful in the treatment of many skin problems and diseases including Gout, eczema, acne, Leucoderma, Leprocy, whit spots, red spots, skin dryness and iching. Nimbadi churna is also used in the treatment of Rheumatism, Anemia, Jaundice and common boils.

4) स्वयम्भुव गुग्गुल (Svayambhuva Guggul )

आजकल एक रोग तेजी से बढ़ता जा रहा है वह है त्वचा रोग.त्वचा रोग कई प्रकार के होते हैं जिनमे सबसे ज्यादा पाया जाने वाला रोग है त्वचा पर खुजली चलना , दाने से निकलना जिनमे खुजली चलती है. इस बीमारी को जड़ से नष्ट करने वाले एक उत्तम आयुर्वेदिक योग "स्वायम्भुव गुग्गुल " का परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है :-

स्वायम्भुव गुग्गुल के घटक द्रव्य (ingredients of Svayambhuva गुग्गुल) - बकुची व् शुद्ध शिलाजीत २०-२० ग्राम , शुद्ध गुग्गुल ४० ग्राम, स्वर्ण माक्षिक १२ ग्राम. लोह भस्म व् गोरखमुंडी ५-५ ग्राम. हरड़, आंवला, करंज के पत्ते, खदिर, गिलोय, निशोथ, नागरमोथा, वायविडंग, हल्दी, कूड़े की छाल - इन सभी द्रव्यों का बारीक कुटा पिसा चूर्ण २-२ ग्राम.
स्वायम्भुव गुग्गुल निर्माण विधि (preparation method of Svayambhuva Guggul ) - शुद्ध शिलाजीत, गुग्गुल, स्वर्णमाक्षिक और लोह भस्म को अलग रख कर शेष सभी द्रव्यों को कूट पीस कर खूब बारीक चूर्ण करके मिला लें. गुग्गुल को शुद्ध करके इसमें मिला लें अंत में शुद्ध शिलाजीत स्वर्ण माक्षिक और लोह भस्म मिला कर खूब घुटाई करें ताकि सभी द्रव्य अच्छी तरह मिल कर एक जान हो जाएँ. अब आधा आधा ग्राम की गोलियां बनाकर सूखा लें और शीशी में भर लें.
स्वायम्भुव गुग्गुल मात्रा और सेवन विघि ( quantity and dosage of Svayambhuva Guggul ) - प्रातः एक गोली खाली पेट, पानी के साथ लें.
स्वायम्भुव गुग्गुल के लाभ (advantages and health benefits of Svayambhuva Guggul ) - स्वयम्भुव गुग्गुल के सेवन से सभी त्वचा रोगों से छुटकारा मिल जाता है. पूरा लाभ न मिलने तक औषधि का सेवन करते रहना

चाहिए.

सौंदर्य का प्रमुख आधार त्वचा

सौंदर्य का एक प्रमुख आधार है शरीर की त्वचा. त्वचा की देखभाल और पोषण के विषय में उपयोगी विवरण इस आर्टिकल में प्रस्तुत किया जा रहा है.

हमारा शरीर भी तभी सुन्दर दिखाई देता है जब त्वचा स्वच्छ, बेदाग, चमकीली और स्वस्थ हो. कोई त्वचा रोग हो जाता है तो त्वचा बदसूरत हो जाती है, गन्दी हो जाती है और सुंदरता नष्ट हो जाती है. त्वचा शरीर का बाहरी आवरण है और बाहरी आवरण स्वस्थ और सुन्दर होना ही चाहिए. हमारे शरीर की त्वचा पुरे शरीर का आवरण यानी कवर होती है जो शरीर की कुरूपता को ढके रखती है. त्वचा तभी तक सुन्दर दिखती है जब तक की अंदर से शरीर स्वस्थ और सुन्दर हो क्यूंकि त्वचा के सौंदर्य का पूरा दारोमदार ही अच्छे स्वास्थ्य पर निर्भर होता है इसलिए त्वचा को स्वस्थ और सुन्दर रखने के लिए, बाहरी और भीतरी , दोनों तरह के प्रयत्न करने होंगे. यहाँ हम शीतकाल में करने योग्य प्रयत्नों के बारे में चर्चा करेंगे.

शीतकाल के दिनों में , तेज ठण्ड और ठंडी हवा के प्रभाव से त्वचा रूखी-सुखी और नमी रहित हो जाती है. यदि बचाव के उपाय न किये जाएँ तो त्वचा फटने लगती है विशेष कर चेहरे की त्वचा ज्यादातर फटने लगती है क्यूंकि पूरा शरीर कपडे से धक् दिया जाता है पर चेहरा खुला ही रहता है. गालों की त्वचा चटक कर फैट जाती है और होंठ भी फैट जाते हैं इसलिए चेहरे की त्वचा की विशेष देखभाल करनी चाहिए.

त्वचा में अनेकानेक रोम छिद्र होते हैं जिनसे त्वचा वायुमंडल से ऑक्सीजन लेती रहती है और पसीने के जरिये शरीर के विजातीय द्रव्य बाहर निकलती रहती है. स्वस्थ रहने के लिए त्वचा के रोम छिद्रों का साफ़ और खुला रहना नितांत आवश्यक है. प्रतिदिन स्नान करना इसीलिए जरुरी होता है. नीचे त्वचा को स्वस्थ, स्वच्छ और सुन्दर रखने वाले कुछ उपाय प्रस्तुत किये जा रहे हैं :-

भाप स्नान (steam bath )

प्रतिदिन स्नान तो करना ही चाहिए, साथ ही भाप स्नान (steam bath ) भी सप्ताह में एक-दो बार किया जाए तो त्वचा ही सुन्दर और स्वस्थ नहीं रहती बल्कि मोटापा कम होने , जोड़ों का दर्द दूर होना, पसीने में माध्यम से शरीर के विजातीय द्रव्य और विकार निकलना आदि लाभ होते हैं.

मालिश (massage )

तेल मालिश करना शीतकाल में किये जाने योग्य श्रेष्ठ उपाय है. मालिश से त्वचा मजबूत , चिकनी, चमकदार और स्वस्थ रहती है तथा शरीर की शुष्कता, उष्णता और रुक्षता दूर होती है. स्नान करने के दौरान शरीर गिला करके ऑलिव आयल यानी जैतून का तेल लगा कर मालिश करने से शरीर का रक्त संचार ठीक होता है और त्वचा स्वच्छ, चिकनी और चमकदार बनी रहती है.

उबटन

शरीर पर साबुन न लगाकर उबटन लगाना बहुत लाभकारी होता है. एक बहुत ही गुणकारी उबटन की विधि हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं. - आधी कटोरी बेसन, चन्दन का पिसा हुआ महीन पाउडर एक चम्मच, ग्लिसरीन दो चम्मच, पीसी हल्दी एक चम्मच, गुलाब जल एक चम्मच, निम्बू का रास ५-६ बून्द और आधा चम्मच दूध - इन सबको मिला लें. अगर ज्यादा गाढ़ा करना हो तो बेसन मिलकर गाढ़ा करें और पतला करना हो तो ग्लिसरीन डाल कर पतला करें. चाहें तो शीतकाल में, ग्लिसरीन की जगह, सरसों का तेल डाल सकते हैं. इस मिश्रण को पूरे शरीर पर लगाएं. जब उबटन जरा सा सूखने लगे तो इसे मसलने लगें. इस उबटन को सुगन्धित करने के लिए केवड़ा या हिना इत्र की एक बून्द डाल दें. शीतकाल या वर्षाकाल में खास या गुलाब के इत्र की एक बून्द डाल लें. यह उबटन त्वचा का मेल दूर कर, त्वचा को पोषण प्रदान कर, त्वचा का रंग निखरता है और इसे चिकनी, चमकदार और मुलायम बनता है. चाहें तो रोज़ उबटन लगा कर स्नान करें या सप्ताह में एक या दो बार लगाएं.

लेप

शीतकाल में चेहरे की त्वचा का विशेष ध्यान रखना चाहिए. त्वचा तीन प्रकार की होती है - १) रूखी सूखी त्वचा २) तैलीय त्वचा और ३ ) सुन्दर स्वस्थ त्वचा. इन तीनो प्रकार की त्वचा के विषय में जानकारी प्रस्तुत है :-

१) रूखी सूखी त्वचा - शुष्क और रूखी सूखी त्वचा फटी हुई, मलिन और सांवली हो जाती है. इससे चेहरा कुरूप और कांतिहीन हो जाता है. ऐसी त्वचा पर अच्छी किस्म की मॉश्चराइज़र लगा कर मसाज करना चाहिए और स्नान करते समय जैतून का तेल लगाकर चेहरे व् पूरे शरीर की मालिश करना चाहिए. इससे त्वचा को पोषण मिलेगा और त्वचा मुलायम, चिकनी और चमकदार बनी रहेगी.
२) तैलीय त्वचा - तैलीय त्वचा वाला चेहरा चिपचिपा और चिकना बना रहता है. तैलीय त्वचा पर कील मुंहासे होते हैं और यदि उचित देखभाल न की जाए तो चेहरे की त्वचा की सुंदरता नष्ट हो जाती है. तैलीय त्वचा में नमी और चिकनाई जरुरत से बहुत ज्यादा होती है. लेकिन शीतकाल में ऐसी त्वचा भी शुष्क हो जाती है. तैलीय चिपचिपापन दूर करने के लिए गुलाबजल में रुई का फाहा भिगोकर चेहरे की त्वचा को पोंछना चाहिए. चेहरे की त्वचा को साफ़ करने का ये बहुत अच्छा उपाय है.
३) स्वस्थ त्वचा - यूँ तो सामान्य सवस्थ त्वचा को किसी प्रकार के उपाय की जरुरत नहीं रहती है फिर भी स्वस्थ त्वचा पर ध्यान देते रहने से त्वचा स्वस्थ और सुन्दर बनी रहती है. इस त्वचा पर कठोर साबुन न लगाकर मॉश्चरइज़ड साबुन ही लगाना चाहिए.स्वस्थ त्वचा वही होती है जिस पर दाग धब्बे, फोड़े फुंसी, दाद खुजली आदि कोई भी त्वचा रोग नहीं होता , जो न ज्यादा चिकनी, चिपचिपी और तैलीय होती है और न ही बिलकुल रूखीसूखि तथा कांतिहीन ही होती है.
चेहरे पर लगाने के लिए एक एक अति उत्तम लेख का नुस्खा यहाँ प्रस्तुत है :-

लेप का नुस्खा

लाल चन्दन, अगर, लोध, मंजीठ , कूट, खस और सुगन्धबाला - सब को १००-१०० ग्राम लेकर कूट-पीस कर महीन चूर्ण करके, सबको मिला लें और छन्नी से तीन बार छान कर शीशी में भर कर रखें. अब दो बड़े चम्मच चूर्ण सील पर रख कर पानी के छींटे दे कर पीस कर लुगदी बना लें. फिर आधा चम्मच दूध में केसर की २-३ पंखुड़ी डाल कर इतना घोटें की केसर दूध में घुल जाए. यह घुटाई छोटे खरल में डाल कर करें और यह दूध लुगदी में मिला कर निम्बू की ५-६ बून्द और ५-६ बून्द गुलाब जल डाल कर अच्छे से फेंट कर मिला लें. इस लेप को गाढ़ा गाढ़ा पूरे गले और चेहरे पर लगा कर सूखने दें. जब थोड़ा नम रहे तब मसलते हुए छुड़ा दें और कुनकुने गर्म पानी से धो डालें. कुछ दिन तक रोजाना लगाने के बाद सप्ताह में दो बार लगाने लगें. इस लेप से चेहरे व् गले की त्वचा स्वस्थ सुन्दर, मुलायम और स्वच्छ रंग की हो जाती है.

चेहरे पर भाप (steam on face )

जैसे स्टीम बाथ से पूरे शरीर का स्नान किया जाता है वैसे ही चेहरे को भी स्टीमवाश पद्धति से धोना आजकल प्रचलित हो गया है. ब्यूटी पार्लरों में फेसिअल करने के बाद स्टीम भाप से चेहरे को धोया जाता है. आप भी घर पर ही सप्ताह में एक बार चेहरे को भाप दे सकते हैं. एक तपेली में पानी गर्म करें. जब भाप उठने लगे तब सर पर एक मोटा तौलिया ओढ़ कर अपना चेहरा तपेली के ऊपर करें ताकि उठती हुयी भाप चेहरे पर लग सके. इस समय आँखें बंद रखें. जितनी देर सहन कर सकें उतनी देर तक भपारा लें फिर चेहरा हटाकर तौलिये से चेहरा पोंछ लें. २-३ मिनिट ठहर कर पुनः भपारा लें. यह क्रिया ३-४ बार कर सकते हैं. यदि पानी से भाप उठना कम हो जाए तो पानी को फिर से आंच पर रख दें.

इस क्रिया का एक लाभ और भी उठाया जा सकता है. यदि सर्दी जुकाम के कारण नाक बंद हो भपारा लेते समय नाक से सांस लें. गले में दर्द खराश या टॉन्सिलाइटिस की शिकायत हो तो मुंह से भी सांस लें. इस तरह चेहरे का भापस्नान होने के साथ बंद नाक खुल जाएगी और गले की तकलीफ में आराम हो जाएगा.

सोते समय चेहरे की त्वचा पर एक लोशन लगा कर मसाज करना बहुत गुणकारी होता है. लोशन घर पर ही बना सकते हैं. एक शीशी में १०० मिली ग्लिसरीन भर कर इसमें एक चम्मच निम्बू का रस और दो चम्मच गुलाब जल डाल दें. सोते समय, शीशी हिला कर, यह लोशन चेहरे व् गले पर लगा कर हलके हलके मसाज करें. यह लोशन हाथ पैरों में भी लगा कर मसाज कर सकते हैं. घंटा भर बाद कुनकुने गर्म पानी से धोकर पोंछ डालें. लोशन रात भर लगा रहे इसके लिए रात को न धोकर सुबह उठने पर भी धो सकते है. वेसलीन या पेट्रोलियम जैली भी लगा सकते हैं.

एक चम्मच चिरोंजी महीन बारीक़ पीस लें, इसमें एक चम्मच मलाई और एक चुटकी पीसी हल्दी मिला कर फेंट लें. इसे शाम को ८-९ बजे चेहरे व् गले पर अच्छी तरह मिला दें. आधा एक घंटे बाद मसल कर छुड़ा दें. और कुनकुने गर्म पानी से धो कर पोंछ दें. एक चम्मच गोघृत में आधा निम्बू निचोड़ दें और १०-१५ मिनिट तक अच्छी तरह फेंटें. जब घी का रंग सफ़ेद हो जाए तब फेंटना बंद कर दें. सोने से पहले इसे चेहरे व् गले पर लगा कर आधा या एक घंटे बाद मसल कर छुड़ाएं और कुनकुने गर्म पानी से धो लें. इनमे से कोई भी एक उपाय करें. बदल बदल कर भी सभी उपाय प्रयोग किये जा सकते हैं.
ये ऊपरी उपाय करने के साथ ही साथ, आहार-विहार से सम्बंधित अंदरूनी उपाय भी करना चाहिए. इससे लाभ जल्दी होगा और काफी दिनों तक प्रभाव बना रहेगा. अपनी दिनचर्या ठीक रखना, जैसे सुबह जल्दी उठ कर सूर्योदय से पहले शौच व् स्नान कर लेना, स्नान करके २-३ किलोमीटर तक पैदल घूमने जाना, लौट कर योगासन या अन्य तरीके से व्यायाम करना. फिर पानी में भिगोये हुए और मसाले के साथ भुने हुए देसी चने खूब चबा चबा कर खाना और ऊपर से जीरा नमक डाला हुआ मट्ठा एक जिलास भर पीना चाहिए. रात को सोने से पहले निश्चित समय पर शौच के लिए अवश्य जाना चाहिए.

आहार विहार नियमित और नियत समय पर करने से पाचन शक्ति ठीक रहती है तथा वाट पित्त कफ सामान्य अवस्था में रहते हैं. वात कुपित होने से त्वचा मलिन और सांवली होती है अतः वात को कुपित न होने दें. अपच और कब्ज़ बने रहने से वात कुपित होता है. प्रातः नाश्ते में कभी चने, कभी अंकुरित अन्न खाकर छाछ पीना चाहिए. आहार में पोषक तत्वों से युक्त आहार का सेवन करना चाहिए. मौसमी फल का सेवन करना चाहिए. भोजन के साथ ककड़ी, गाजर, टमाटर, मूली, हरा धनिया, आदि का सलाद और सब्ज़ी ज्यादा मात्रा में खाना चाहिए. दिन भर में ७-८ गिलास पानी पीना चाहिए. विटामिन युक्त , विशेष कर विटामिन बी, सी और इ युक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए. तले हुए तेज़ मिर्चमसालेदार , कहते, खट्टे पदार्थ, लाल मिर्च और भरी पदार्थों का सेवन कम से कम मात्रा में करना चाहिए या बंद रखना चाहिए. देर रात तक जागना और सुबह देर तक सोना त्वचा के लिए बहुत हानिकारक होता है. मेकअप करते हों तो रात को सोने से पहले मेकअप उतार कर सोएं. इस तरह इन उपायों पर अमल करके , सौंदर्य के इस प्रमुख आधार त्वचा की सुरक्षा करके इस त्वचा को सुन्दर और स्वस्थ रखा जा सकता है.

चर्म रोगों से बचाव के उपाय (Ayurveda tips to prevent skin diseases )

 

त्वचा पर जो बाहरी रोग होता है उसे त्वचा रोग या चर्म रोग कहा जाता है . खुजली , दाद , फोड़े , फुंसी , घमोरी , सोरायसिस , हर्पीज़ आदि विभिन्न चर्म रोगों के नाम हैं . इन रोगों को आयुर्वेदिक उपायों आयुर्वेदिक पदार्थों का उचित उपयोग करके दूर करना आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है . त्वचा रोग होने के कारणों और उन्हें दूर करने वाले उपायों के विषय में सम्पूर्ण विवरण इस आर्टिकल में प्रस्तुत है .

चर्म या त्वचा रोगों के कारण (Causes of skin diseases ):-

शरीर में पित्त प्रकोप होने और विटामिन ए , बी , तथा सी एवं कैल्शियम की कमी होने से चर्म रोग होते हैं . ये रोग संक्रमण यानी इन्फेक्शन और छूत से भी हो सकते हैं . मलहम लगाने या तेज़ असरकारक दवाएं खाने से ये रोग कुछ समय के लिए दब जाते हैं और कुछ समय बाद फिर प्रकट हो जाते हैं .

चर्म या त्वचा रोगों के आयुर्वेदिक उपचार (Ayurveda treatments for skin diseases):-

तीन दिन तक सिर्फ निम्बू पानी लेकर उपवास करें फिर तीन दिन तक नारंगी और संतरे के रस पर उपवास करें . बाद में उबली हुई सब्ज़ियां , सलाद कच्ची सब्ज़ियों का रस , गाजर का रस और आंवले का रस लें . नमक , चीनी , तेज़ मिर्च मसाले और साबुन का प्रयोग न करें या कम से कम करें . निम्बू त्वचा को स्वच्छ करता है . सुबह खली पेट एक गिलास पानी में एक निम्बू निचोड़ कर पीने से कुछ दिनों में त्वचा रोग दूर हो जाता है . स्नान के पानी में निम्बू निचोड़ कर स्नान करने से लाभ होता है . दाद को खुजा कर इस पर निम्बू का रस दिन में हर बार लगाने से दाद मिट जाती है . टमाटर काट कर इसका रस दिन में तीन बार पीने से रक्त शुद्ध होता है , त्वचा साफ़ होती है और त्वचा पर लाल चकते होना , मसूड़ों से रक्त निकलना , दाद खाज होना , बेरी - बेरी होना , आदि रोगों की सम्भावना हो तो ऐसे हरम रोग दूर होते हैं . इसी तरह सेबफल , गाजर , खीरा और प्याज खाने से खून साफ़ होता है अतः इनका नियमित सेवन करना चाहिए . कच्चे प्याज को आग में भून कर गरम - गर्म फोड़े या गिल्टी पर बाँधने से फोड़ा फुट जाता है और पस निकल जाता है . हरा पोदीना पीस कर चेहरे पे लगा कर २० - २५ मिनिट बाद साफ़ कर दें . इससे त्वचा की गर्मी निकल जाती है और चेहरे की त्वचा साफ़ होती है . त्वचा रोगों में लाल मिरह का तेल फायदा करता है . सरसों का तेल ३७५ ml और लाल मिर्च २५ ग्राम - आग पर रख कर उबालें . जब खूब अच्छी तरह उबाल जाए तो उतार कर ठंडा करके बोतल में भर लें . यही लाल मिर्च का तेल है . इसे लगाने से चर्म रोग दूर होते हैं .