मोटापा (obesity ) के आयुर्वेदिक इलाज हिंदी में, Ayurveda treatments for Motapa(Obesity) in hindi

मोटापा (obesity ) दूर करने के आयुर्वेदिक इलाज , ayurveda treatments for Motapa in hindi.मोटापा और BODY MASS INDEX (BMI) chart in hindi.

मोटापा (obesity ) के आयुर्वेदिक इलाज हिंदी में, Ayurveda treatments for Motapa(Obesity) in hindi

मोटापा (obesity ) दूर करने के आयुर्वेदिक इलाज , ayurveda treatments for Motapa in hindi.मोटापा और BODY MASS INDEX (BMI) chart in hindi.

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मोटापा (motapa )
मोटापा (motapa )


मोटापे(Motape ) का स्थाई इलाज

स्वस्थ जीवन शैली

मोटापा अपने आप में एक रोग ही नहीं बल्कि कई प्रकार के रोगों को उत्पन्न करने का कारण भी होता है अतः मोटापा दूर करने के उपाय शीघ्र अति शीघ्र करना चाहिए. मोटापा उत्पन्न करने वाले कारण और स्वस्थ जीवनशैली द्वारा इस समस्या के स्थाई समाधान सम्बन्धी उपयोगी विवरण Biovatica .com इस आर्टिकल में आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं.

Motapa apne aap me ek rog hi nahi balki kai prakar ke rogon ko utpann karne ka karan hota hai atah motapa dur karne ke upay shighr ati shigra karna chahiye. motapa utpann karne wale karan aur swasth jeevanshaili dwara is samasya ke sthai samaadhan sambandhi upyogi vivran Biovatica.Com is article me aapke liye prastut kar rahe hain.

आज का आधुनिक और वैज्ञानिक युग में मोटापा एक बड़ी शारीरिक समस्या के रूप में पूरी दुनिया में उभर रहा है. आज के समय में मोटापे का बड़ा और आमतौर पर पाया जाने वाला रोग हो जाने के पीछे कई कारण हैं , जैसे खानपान और रहनसहन यानी आहार-विहार में तेजी से परिवर्तन होना , खाने पीने की रूचि में बदलाव होना, जीवनशैली यानि दिनचर्या का विलासिता और निष्क्रियता से ग्रसित होना, फ़ास्ट फ़ूड तथा डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के प्रति रुझान बढ़ना, आदि. ये कारण शरीर में कई प्रकार के विकार उत्पन्न करने वाले होते हैं जिनमे से एक विकार है शरीर पर मोटापा होना. मोटापा अपने आप में तो एक रोग है ही, साथ ही यह शरीर में अन्य रोग भी पैदा करता है यानि अनेक रोगों को सीधा आमंत्रण है. मोटे व्यक्ति की कार्यक्षमता घाट जाती है क्यूंकि एक तो वह फुर्ती से काम नहीं कर पाटा और दूसरा उसके शरीर का भारी वज़न उसे जल्दी थका देता है. इस आर्टिकल में मोटापा उत्पन्न होने के कारण, शरीर पर मोटापे के दुष्प्रभाव तथा मोटापे को दूर करने के उपायों से सम्बंधित उपयोगी विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है.

Aaj ke aadhunik aur vaigyanik yug me motapa ek badi sharirik samasya ke roop me poori duniya me ubhar kar aa raha hai. aaj ke samay me motape ka bada aur aamtaur par paya jane wala rog ho jane ke piche kai kaaran hain, jaise khan-paan aur rahan-sahan yani aahar-vihar me teji se pariwartan hona, khane-pine ki ruchi me badlav hona, jivanshaili yani dincharya ka vilasita aur nishkriyta se grasit hona, fast food tatha dibba band khady-padarthon ke prati rujhan badhna, aadi. ye karan sharir me kai prakar ke vikar utpann karte hain jinme se ek vikar hai sharir par motapa hona. motapa apne aap me to ek rog hai hi, saath hi yah sharir me any rog bhi paida karta hai yaani anek rogon ko seedha aamantran hai. mote vyakti ki karykshamta ghat jati hai kyunki ek to wah furti se kaam nahi kar pata aur dusra sharir kabhari wajan use jaldi thaka deta hai. is aarticle ke dwara motapa utpann karne ke kaaran, sharir par motape ke dushprabhav tatha motape ko door karne ke upayon se sambandhit upyogi vivran prastut kiya ja raha hai.

पहले के ज़माने में मोटे लोग बड़ी मुश्किल से देखने में आते थे. प्रायः अधिक उम्र के स्त्री या पुरुष हो मोटापे का शिकार होते थे. आज स्थिति यह है की किसी भी आयु का व्यक्ति इस शारीरिक समस्या से ग्रसित दिखाई दे जाता है. हद तो ये है की मोटापे ने नवयुवा और बच्चों में भी एक बड़ी समस्या का रूप ले लिया है. यह कितने आश्चर्य की बात है की संसार में जितने भी प्राणी हैं उनमे सबसे बुद्धिमान प्राणी मनुष्य है और सबसे ज्यादा बेडौल व् अस्वस्थ प्राणी भी मनुष्य ही है. मनुष्य इतना बेडौल हो गया है की अन्य प्राणियों की तरह बिना वस्त्रों के वह सुन्दर नहीं दिख सकता. मनुष्य की सुंदरता केवल वस्त्रों की मेहरबानी की वजह से है. यदि हम अपने आस पास सुघड़ व् सुडौल शरीर के व्यक्तित्व को ढूंढें तो बड़ी मुश्किल से ही ऐसा व्यक्तित्व मिलता है. यह कैसी विडंबना है की संसार का सबसे बुद्धिमान व् ज्ञानवान प्राणी मनुष्य मोटापे की वजन से अपना स्वास्थ्य और सौंदर्य असमय ही खो रहा है.

मिठाई (मिष्टान्न में कैलोरी )(calories in sweets) (per 100 grams)
मिष्ठान्न (मिठाई, sweet ) कैलोरी (calorie )
बूंदी का लड्डू 667
जलेबी 555
बेकरी मिष्ठान्न 550
बेसन का लडडू 467
शक्कर 400
रवे का हलवा 340
गाजर का हलवा 320
राजभोग 258
चावल की खीर 246
मीठा चावल 135
बालूशाही 600
इमरती 555
चॉकलेट / गुलाबजामुन 500
दाल का हलवा 450
रबड़ी 340
नारियल की बर्फी 334
रसगुल्ला 280
श्रीखंड 250
क्रीमयुक्त फ्रूट सलाद 200
कस्टर्ड 94

Pehle ke zamane me mote vyakti mushkil se dekhne me aate the. prayah adhik umr ke stri ya purush hi motape ke shikar hote the. aaj sthiti ye hai ki kisi bhi aayu ka vyakti is sharirik samasya se grasit dikhai de jata hai. had to ye hai ki motape ne navyuva aur bachchon me bhi ek badi samasya ka roop le liya hai. yah kitne aashchary ki baat hai ki sansar me jitne bhi prani hain unme sabse buddhiman prani manushy hai aur sabse jyada bedaul aur aswasth prani bhi manushy hi hai. manushy itna bedaul ho gaya hai ki any praniyon ki tarah bina wastron ke wah sundar nahi dikh sakta. manushy ki sundarta kewal vastron ki meharbani ki wajah se hi hai. yadi hum apne aas paas sughad v sudaul sharir ke vyaktitv ko dhunde to badi mushkil se hi aisa vyaktitv milta hai. yah kaisi vidambna hai ki sansaar ka sabse buddhimaan v gyaanwan prani manushy motape ki wajah se apna swasth aur saundary asamay hi kho raha hai.

पहले मोटापा धनाढ्य वर्ग के लोगों की पहचान होता था. किसी मोटे व्यक्ति को देख कर कहा जाता था की खाते-पीते घर का है. परन्तु आजकल केवल आयु की दृष्टि से ही नहीं बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी सभी वर्ग के लोग मोटापे से ग्रस्त दिखाई देते हैं. यानि मोटापा केवल धनवान लोगों का प्रतीक भर नहीं रह गया है.

pehle motapa dhanady varg ke logon ki pehchan hota tha. kisi mote vyakti ko dekh kar kaha jata tha ki khate-pite ghar ka hai. parantu aajkal kewak aayu ki drishti se hi nahi balki aarthik drishti se bhi sabhi varg ke vyakti motape se grast dikhai de jate hain. yani motapa kewal dhanwan logon ka prateek bhar nahi reh gaya hai.

मोटापे का शरीर पर प्रभाव

मोटापे की वजह से शरीर अनेक रोगों का शिकार हो जाता है या उन रोगों के उत्पन्न होने की सम्भावना बढ़ जाती है . मोटापे के कारण व्यक्ति को मधुमेह, दमा, हृदयरोग, उच्च रक्तचाप , हर्निया, अस्थिसन्धिशोथ, नपुंसकता , जैसी कई समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है. मोटापा यानि शरीर का वज़न सामान्य से अधिक होना. प्रति एक किलो अतिरिक्त वज़न के लिए ह्रदय को १० किलोमीटर अतिरिक्त रक्त प्रवाह करना पड़ता है. यदि व्यक्ति का वज़न सामान्य से १५ से २० किलो अधिक है तो उसके ह्रदय को प्रतिदिन , १५०-२०० किलोमीटर अतिरिक्त रक्तप्रवाह करने के लिए अत्यधिक कार्य करना पड़ता है. अत्यधिक कार्य करने की वजह से ह्रदय असमय ही थक जाता है. मोटे व्यक्ति के रक्त में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर भी बढ़ा हुआ रहता है जो ह्रदय की रक्तापूर्ति करने वाली धमनियों में अवरोध उत्पन्न कर हृदयाघात की सम्भावना को बढ़ता है और शीश को रक्तापूर्ति करने वाली धमनियों को अविरुद्ध कर नपुंसकता उत्पन्न होने की सम्भावना को बढ़ता है. मोटापे से इन्सुलिन हार्मोन का प्रभाव कम होने लगता है जिससे मधुमेह रोग उत्पन्न होता है. इनमे अस्थि संधिशोथ की सम्भावना भी अधिक होती है और जो भार वहन करने वाले जोड़ जैसे निचली कमर, कूल्हे और खासतौर पर घुटने आदि को प्रभावित करती है. मोटे लोगों को सांस लेने में समस्या आती है और कइयों को विशेष रूप से जिनका मोटापा बहुत ज्यादा होता है स्लीप एप्निआ नामक रोग हो जाता है. कुछ कैंसर की होने की सम्भावना भी मोटे लोगों में अधिक पायी जाती है जैसे स्त्रियों में गर्भाशय, डिंबग्रंथि, गर्भाशय ग्रिव्हा, स्तन आदि तथा पुरुषों में बड़ी आंत , मलाशय और प्रोस्टेट कैंसर. मोती स्त्रियों में मासिक धर्म की अनियमितता , गर्भपात, गर्भाधान न होना, आदि समस्याएँ अधिक देखि जाती हैं. इसके अलावा शरीर में रक्त संचारण बाधित होना, शरीर में लोच व् फुर्ती तथा चुस्ती का न रहना, थोड़े से श्रम में ही सांस फूल जाना आदि समस्याएं होती हैं जिन्हे मोटे व्यलक्ति स्वयं ही रोजमर्रा की दिनचर्या में अनुभव करते हैं. मोटे व्यक्ति की दिनचर्या सामान्य नहीं रहती. सीधी सी बात है यदि आपके शरीर पर अतिरिक्त ३५ किलो का वज़न लाद दिया जाए तो क्या आप अपनी दिनचर्या सामान्य रख सकते हैं? कदापि नहीं. मोटापे से उत्पन्न होने वाले इतने उपद्रवों के बाद भी हम क्यों मोटापे को तेजी से बढ़ने देते हैं? क्या हम मोटापे को कम करने के लिए प्रयास नहीं कर सकते? निश्चित ही कर सकते हैं पर इसके लिए मोटापा उत्पन्न करने वाले कारणों को समझना होगा.

फल प्रति 100 ग्राम में कैलोरी (calories in fruits per 100 grams )
फल (fruit ) कैलोरी (calorie )
कटहल 111
जामुन 83
अंजीर 75
अमरुद 66
सेबफल 56
नासपाती 50
टमाटर 21
केले 85
बेर 75
अंगूर 68
अनार 65
अनानास/आम 50
खजूर/संतरा 30
तरबूज 17
सूखे मेवे प्रति 100 ग्राम में कैलोरी (dry fruits calorie per 100 grams )
सूखे मेवे (dry fruit ) कैलोरी (calorie per 100 gram )
सूखे मेवे 952
काजू 651
बादाम 539
मूंगफली 539
अखरोट 658
तिल्ली 560
कार्य के अनुसार प्रति मिनट कैलोरी खर्च (calorie spent per minute as per work )
कार्य (work ) प्रति मिनट कैलोरी खर्च (calorie spent per minute )
निद्रा , नींद 0.5
भोजन 1.8
बैठना/पढ़ना 2
खड़े होना 2.2
दौड़ना 10-12
पढाई 1.4
बातचीत 1.8
कार चलाना 2.1
तेज चलना 7-9

motape ki wajah se sharir anek rogon ka shikar ho jata hai ya un rogon ke utpann hone ki sambhavna badh jati hai.motape ke karan vyakti ko madhumeh, dama, hriday rog, uchch raktchaap, hernia, asthisandhi shoth, napunsakta, jaisi kai samasyaon se rubaru hona padta hai. motapa yani sharir ka wazan samany se adhik hona. prati ek kilo atirikt wajan ke liyehriday ko 10 kilometer atirikt rakt prawah karna padta hai. yadi vyakti ka wajan samany se 15 se 20 kilo adhik hai to uske hriday ko pratidin, 150-200 kilometer atirikt raktpravah karne ke liye atydhik kaary karna padta hai. atydhik kary karne ki wajah se hriday asamay hi thak kar rog grast ho jata hai. mote vyakti ke rakt me cholesterol aur triglycerides ka star bhi badha hua rehta hai jo hriday ki rakt aapurti karne wali dhamniyon me avrodh utpann kar hridayaaghat ki sambhavna ko badhata hai aur shishn ko raktapurti karne wali dhamniyon ko avruddh kar napunskta utpann hone ki sambhavna ko badhata hai. motape se insulin harmon ka prabhav kam hota hai jisse madhumeh rog utpann hota hai. inme asthi sandhi shoth ki sambhavna bhi adhik rehti hai jo bhar wahan karne wale jod jaise nichli kamar, kulhe aur khastaur par ghutne aadi ko prabhavit karti hai. motelogon ko saans lene me samasya aati hai aur kaiyon ko vishesh roop se jinka motapa bahut jyada hota hai sleep Aprea namak rog ho jata hai. kuchh cancer ki hone ki sambhavna bhi mote logon me adhik payi jati hai jaise striyon me garbhashay, dimbgranthi, garbhashay grivha, stan aadi tatha purushon me badi aant, malashay aur prostate cancer. moti striyon me masik dharm ki aniymitata , garbhpaat, garbhadhan na hone, aadi samasyaen adhik dekhi jati hain. iske alawa sharir me rakt sancharan badhit hona, sharir me loch v chusti furti na hona, thode se shram se hi saans fool jana aadi kai samasyaen hoti hain jinhe mote vyalkt swayam hi rojmarra ki dincharya me anubhav karte hain. mote vyaktiyon ki dincharya samany nahi rahti. sidhi si baat hai yadi aapke sharir par atirikt 35 kilo ka wajan laad diya jaye to kya aap apni jivancharya ko samany rakh sakte hain? kadapi nahi. motape se utpann hone wale itne updravon ke baad bhi hum kyon motape ko teji se badhne dete hain? kya hum motape ko kam karne ke liye prayaas nahi kar sakte? nishchit hi kar sakte hain par iske liye motapa utpann karne wale karanon ko samajhna hoga.

मोटापा के कारण (motapa ke karan )
मोटापा (motapa )

हमारे पास कोई वाहन है और यदि हम उस वाहन को बिना उपयोग करे महीनों ऐसे ही खड़े रहने दें तो वह वाहन ख़राब हो जाता है. उसे दुरुस्त रखने के लिए हम उसे नियमित रूप से चलते रहते हैं किन्तु इस शरीर रूपी वाहन को , जिसके सहारे हम जीवन रूपी यात्रा कर रहे हैं, कई-कई दिनों तक बिना किसी शारीरिक श्रम के रखते हैं. उस पर असमय और अनुचित आहार की मार भी यह शरीर झेलता है. दरअसल मोटापा हमें इसलिए शिकार बना रहा है क्यूंकि हमारे दैनिक जीवन के समस्त कार्य मशीनों से संचालित होने लग गए हैं. पहले पानी भरना, कपडे धोना व् अन्य कार्य बिना मशीनों की सहायता के किये जाते थे परन्तु आज वही समस्त काम मशीनों के माध्यम से संचालित हो रहे हैं. रोज़मर्रा के कामों में कोई भी शारीरिक गतिविधि नहीं होती है. पैदल कौन चले जब वाहन की सुविधा मौजूद हो, सीढियाँ कौन चढ़े जब लिफ्ट की सुविधा मौजूद हो. रिमोट कण्ट्रोल का ज़माना है , परिणामस्वरूप श्रम हमारे जीवन से गायब हो गया है. आधुनिक युग में भौतिक सुख-सुविधाओं की वजह से मनुष्य पर आलस्य और निष्क्रियता हावी हो गए हैं इसी वजह से वह श्रम से जी चुराता है. फिर आज का मनुष्य श्रम को निकृष्ट कार्य समझने लगा है. उसकी यह धारणा बन गयी है की श्रम छोटे लोग ही करते हैं जबकि पुराने समय में राजा-महाराजा स्वस्थ व् बलशाली रहने के लिए कुश्ती, घुड़सवारी, तलवारबाजी व् अन्य शारीरिक अभ्यासों को अपनी जीवनचर्या में शामिल रखते थे ताकि में जीवनपर्यन्त स्वस्थ व् निरोगी रहें. किन्तु आज धन की अत्यधिक चाहत और ज़रूरत ने मनुष्य को केवल पैसा कमाने की मशीन बना दिया है. परिणामस्वरूप श्रम उसके जीवन से नदारद है. इस वजह से हमारे द्वारा ग्रहण किये आहार से जो ऊर्जा (कैलोरी) हमें प्राप्त होती है वह पूरी तरह खर्च नहीं हो पाती और यह अतिरिक्त कैलोरी ही हमारे शरीर को धीरे-धीरे मोटापे की ओर अग्रसर करती जाती है.

मोटापे का प्रमुख कारण होता है त्रुटिपूर्ण आहार सेवन यानि वसायुक्त एवं कार्बोहाइड्रेट का अत्यधिक सेवन करना. कार्बोहाइड्रेट्स का अत्यधिक मात्रा में सेवन मोटापे का अहम् कारण होता है. वसायुक्त आहार का कम मात्रा में सेवन करते हुए भी व्यक्ति मोटापे के शिकार हो जाते हैं क्यूंकि प्रायः मोटे व्यक्ति चपाती व् चावल का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं. अत्यधिक चपाती और चावल का सेवन शरीर को क्रमशः मोटा बनता है. जैसे जैसे उम्र बढ़ती जाती है तो शारीरिक श्रम कम होता जाता है लेकिन चपाती की मात्रा वही रहती है परिणामस्वरूप मोटापा धीरे धीरे मनुष्य को अपनी गिरफ्त में ले लेता है. अतः उम्र बढ़ने व् श्रम कम होने पर आहार से चपाती की मात्रा कम कर देनी चाहिए ताकि मोटापा तेज़ी से न बढे व् शरीर का आकर नियंत्रण में रहे.

motape ka pramukh karan hota hai trutipoorn aahar sewan yani vasaayukt evam carbohydrates ka atydhik sewan karna. carbohydrates ka atydhik matra me sewan mukhy kaaran hota hai. vasayukt aahar ka kum matra me sewan karte hue bhi vyakti motape ka shikar ho jate hain kyunki prayah mote vyakti chapati v chawal ka adhik matra me sewan karte hain. atydhik chapati aur chaaval ka sewan sharir ko kramashah mota banata hai. jaise jaise umr badhti jati hai to sharirik shram kam hota jata hai lekin chapati ki matra wahi rahti hai parinamswarup motapa dhire dhire manushy ko apni giraft me le leta hai. atah umr badhne v shrm kam hone par aahar se chapati ki matra kam kar deni chahiye taki motapa teji se na badhe v sharir ka aakar niyantran me rahe.

अधिक मात्रा में वसायुक्त आहार का नियमित सेवन करना भी मोटापे का अहम् कारण होता है. आजकल फ़ास्ट फ़ूड, पिज़्ज़ा, बर्गर व् अन्य कृत्रिम पेय पदार्थों के सेवन का चलन बहुत बढ़ गया है. ये खाद्य पदार्थ मैदा से बनते हैं जो रेशविहीन पदार्थ है, उस पर चीज़ , मक्खन और विभिन्न मसालों के साथ नमक का भी अधिक प्रयोग होता है. ये सब बड़ी तेजी से शारीरिक वज़न और मोटापा बढ़ने वाले होते हैं. आजकल के बच्चों में मोटापा इन्ही खाद्य पदार्थों के अतिसेवन तथा निष्क्रिय जीवनशैली का ही परिणाम है. फ़ास्ट फ़ूड में संतृप्त वसा की मात्रा बहुत अधिक होती है. इस प्रकार का आहार मोटापे के साथ साथ कई अन्य गंभीर रोगों से भी शरीर को ग्रसित कर देता है. इसी तरह अत्यधिक मात्रा में शक्कर का सेवन भी मोटापा लाता है फिर वह चाय के साथ ली जाये या मिठाइयों के रूप में ली जाये. यदि आहार में शक्कर की मात्रा काम कर ली जाये तो निश्चित रूप से मोटापा कम करने में मदद मिलती है. इसी तरह नमक का अत्यधिक सेवन भी मोटापे का मुख्य कारण है. आहार में, सलाद में, छाछ या फलों के साथ अतिरिक्त नमक का उपयोग अक्सर लोग करते हैं. कई लोगों की दालसब्जी में ऊपर से नमक डालकर खाने की आदत होती है.

adhik matra me vasayukt aahar ka niymit sewan karna bhi motape ka aham kaaran hota hai. aajkal fast food, pizza, burger v any kritrim pey padarthon ke sewan ka chalan bahut badh gaya hai. ye khady padarth maida se bante hain jo reshavihin padarth hai, us par cheeze, makkhan aur vibhinn masalon ke sath namak ka bhi adhik prayog hota hai. ye sab badi teji se sharirik wajan v motapa badhane walw hote hain. aajkal ke bachchon me motapa inhi khady padarthon ke ati sewan tatha nishkriy jeevanshaili ka hi parinaam hai. fast food me santrapt vasa ki matra bahut adhik hoti hai. is prakar ka aahar motape ke sath-sath kai any gambhir rogon se bhi sharir ko grasit kar deta hai. isi tarah atydhik matra me shakkar ka sewan bhi motapa lata hai fir wah chaay ke saath li jaye ya mithaiyon ke roop me li jaye. yadi aahar me shakkar ki matra kam kar li jaye to nishchit roop se motapa kam karne me madad milti hai. isi tarah namak ka atydhik sewan bhi motape ka mukhy karan hai. aahar me, salad me, chhachh ya falon ke saath atirikt namak ka upyog aksar log karte hain. kai logon ki daal sabji me upar se namak dalkar khane ki aadat hoti hai.

मोटापा लाने वाला एक और महत्वपूर्ण कारण है तनाव.इस पर अक्सर हमारा ध्यान नहीं जाता है. तनाव आज के युग की देन है. इसके कारण मनुष्य की चयापचय क्षमता बुरी तरह से प्रभावित होती है और साथ ही शरीर के उत्सर्जन अंगों की कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है. तनाव के साथ एक चीज और जुडी हुई है जो मोटापे में वृद्धि लती है और वह है तनावग्रस्त व्यक्ति का नशीले खाद्य पदार्थ एवं द्रव्यों का सेवन करना तथा उनके साथ गलत सलत खाद्य पदार्थों का सेवन करना. कभी कभी तनावग्रस्त व्यक्ति आवश्यकता से अधिक मात्रा में ही आहार का सेवन नहीं करता है बल्कि मसालेदार व् अन्य गरिष्ठ आहार का सेवन भी अनियंत्रित रूप से करता है. दरअसल तनाव की वजह से मनुष्य को भोजन से शीघ्र तृप्ति नहीं मिलती अतः वह भोजन से तृप्ति पाने के चक्कर में अधिक भोजन का सेवन कर लेता है. मोटापे के पीछे कई बार अनुवांशिक प्रभाव भी रहता है. थायरॉइड ग्रंथि की गड़बड़ी व् जन्मजात चयापचय का धीमा होना भी मोटापे के कारण होते हैं.

motapa laane wala ek aur mahatvpurn karan hai tanaav. is par aksar hamara dhyan nahi jata hai. tanav aaj ke yug ki den hai. iske karan manushy ki chayapchay kshmta buri tarah se prabhavit hoti hai aur sath hi sharir ke utsarjan angon ki karykshmta bhi prabhavit hoti hai. tanav ke sath ek chij aur judi hui hai jo motape me vriddhi lati hai aur wah hai tanavgrast vyakti ka nashile khady padarthon evam dravyon ka sewan karna tatha unke sath galat salat khady padarthon ka sewan karna. kabhi-kabhi tanavgrast vyakti aawashyakta se adhik matra me hi aahar ka sewan nahi karta hai balki masaledar v any garishth aahar ka sewan bhi aniyantrit roop se karta hai. darasal tanav ki wajah se manushy ko bhojan se shighr trapti nahi milti atah wah bhojan se trapti pane ke chakkar me adhik bhojan ka sewan kar leta hai. motape ke piche kai bar anuwanshik prabhav bhi rahta hai. thyroid granthi ki gadbadi v janmjaat chayapchay dheema hona bhi motape ke karan hote hain.

मोटापे की पहचान

BODY MASS INDEX (BMI)

कद के अनुरूप शारीरिक वज़न सामान्य, कम या अधिक है यह जानने के लिए इस सूचकांक का उपयोग किया जाता है. इसको ज्ञात करने का एक सूत्र है :-

BMI = (Weight in Pounds / (Height in inches x Height in inches)) x 703

यानि पौंड में जितना वज़न है उसे ७०३ से गुणा करने पर जो संख्या प्राप्त हो उस संख्या को इंच में कद के वर्गफल से भाग देने पर जो संख्या प्राप्त होगी उसे बॉडी मॉस इंडेक्स (BMI ) कहते हैं. इस सूचकांक की इकाई होती है kg /m square . यदि इस सूचकांक का मान १८.५ kg /m square से कम आये तो कम वज़न (अंडर वेट ) यदि १८.५ kg /m square से २४.५ kg /m square के बीच आये को सामान्य वज़न (नार्मल वेट), यदि २५ kg /m square से २९.५ kg /m square के बीच मान प्राप्त हो तो अधिक वज़न कहलाता है. और यदि इसका मान ३० kg /m square से अधिक हो तो मोटापा (ओबेसिटी) कहलाता है. उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति का कद ५ फ़ीट ६ इंच हो यानि ६६ इंच और वज़न ६५ किलोग्राम यानि १४३ पौंड (65x 66 = 143 ) हो तो उसकी BMI इस प्रकार होगी - सूत्र के अनुसार 143 का 703 से गुणा करने पर 100529 संख्या प्राप्त होगी. अब इस संख्या को ६६ इंच से वर्गफल (66x66 = 4356 ) 4356 से भाग देने पर जो संख्या प्राप्त होगी वो होगी 23 यानि उस व्यक्ति की BMI 23 जो सामान्य वज़न को इंगित करती है. किन्तु भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारतियों के लिए इस सूचकांक के मान को कम कर दिया है अतः हमें अपना वज़न जानने के लिए निम्न चार्ट देखना होगा :--
1. BMI 18 .5 से कम = कम वज़न (UNDER WEIGHT )
2. BMI १८.5 से 22 .9 के बीच = सामान्य वज़न (NORMAL WEIGHT )
3. BMI 23 से 24 .9 के बीच = अधिक वज़न (OVER WEIGHT )
4. BMI 25 से अधिक = मोटापा (OBESITY )
इस विधि से आप यह ज्ञात कर सकते हैं की आपका वज़न कम है, सामान्य है, अधिक है या फिर आप मोटापे (ओबेसिटी) से ग्रस्त हैं.

सबसे पहले तो यह जानना ज़रूरी है की सामान्य वज़न क्या होता है? शारीरिक वज़न को व्यक्ति के कद के अनुपात में नापा जाता है. किसी

व्यक्ति का सामान्य वज़न कितना होना चाहिए यह जानने का एक साधारण तरीका यह है की जैसे किसी व्यक्ति का कद ५ फ़ीट ४ इंच अर्थात उसकी ऊंचाई ६४ इंच हुई तो ऐसे व्यक्ति का वज़न ६४ किलो या ५ किलो काम/ज्यादा होने पर उसका सामान्य या आदर्श वज़न मन जायेगा. इसके अतिरिक्त बी.एम् . आय . (BMI , Body Mass Index ) प्रणाली से मोटापे का निर्धारण होता है. BMI एक सूचकांक होता है जिससे ज्ञात होता है की शारीरिक वज़न शारीरिक कद के हिसाब से उपयुक्त है या नहीं.

मोटापा दूर करने के उपाय

सर्वप्रथम तो ये बात अपने जेहन में बिठाना ज़रूरी है की मोटापा कम करने के लिए धीरज की आवश्यकता होती है क्यूंकि आहार-विहार प्रबंधन की दीर्घकालिक योजना बनाने और उस पर अमल करने से ही मोटापे से छुटकारा संभव है. तो चलिए, आहार-विहार प्रबंधन पर, सिलसिलेवार ढंग से, चर्चा शुरू करते हैं :-

मोटापा केवल दवाइयों के सहारे दूर नहीं होता :- मोटापा कम करने के लिए दृढ इच्छा शक्ति रखते हुए प्रयास करने होते हैं. यदि आप ऐसा सोचते हैं की आप खानपान की गलतियां करते रहें और व्यायाम भी न करें, केवल दवाइयों के सहारे आपका मोटापा छू मंतर हो जाए तो आप गलत सोचते हैं क्यूंकि संसार में अभी तक ऐसी कोई दवा नहीं आयी है जिससे चमत्कारिक ढंग से मोटापा कम हो जाए. यदि ऐसी कोई चमत्कारिक औषधि होती तो विश्व के कई समृद्ध और संपन्न देश मोटापे से मुक्ति पा लेते और आज मोटापे की गिरफ्त में नहीं होते. मोटापे को कम करने में दवाइयां तभी कारगर सिद्ध होती हैं जब हम दवाइयों के साथ आहार, व्यायाम, विश्राम और सकारात्मक विचारों के बीच सही संतुलन को बनाये रखते हैं. दरअसल दवाइयां केवल शरीर में हो रहे रोग या किसी ग्रंथि के अस्वस्थ होने पर उसे स्वस्थ करने का कार्य करती हैं.

आहार के पूर्व पर्याप्त सलाद का सेवन करें - आहार करने से पहले, सलाद का भरपूर सेवन करने से रोटी मि मात्रा भी कम हो जाती है और पेट भी भर जाता है जिससे वज़न को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है. कारण यह है की हम आहार तब तक करते रहते हैं जब तक हमें संतुष्टि नहीं हो जाती है. सलाद का सेवन हमें संतुष्टि प्रदान करता है और कम आहार से ही हमारा पेट भर जाता है.

रोटी के कौर को छोटा करें - कई लोग रोटी हो या चावल इनके बड़े-बड़े कौर ही बनाकर नहीं खाते बल्कि तेजी से भी कहते हैं . चूँकि जब मस्तिष्क के संतुष्टि केंद्र तक यह सन्देश नहीं पहुँचता की पेट भर गया है मनुष्य खाना बंद नहीं करता अतः इस तरह आहार लेने से जब तक यह सन्देश पहुँचता है तब तक मनुष्य आवश्यकता से अधिक आहार ग्रहण कर चूका होता है . इस तरह धीरे धीरे मोटापा बढ़ता जाता है. इसलिए चपाती या चावल के छोटे-छोटे कौर बनाकर लेने से और उनको धीरे-धीरे अच्छे से चबाकर खाने से कम आहार में ही मन को संतुष्टि प्राप्त हो जाती है और मोटापे पर नियंत्रण पाना आसान हो जाता है.

आहार में रेशेदार खाद्य पदार्थों को अवश्य शामिल करें - अपने आहार में रेशेदार खाद्य पदार्थों का नियमित सेवन करना न केवल पाचन तंत्र के लिए ठीक होता है बल्कि कब्ज़ और मोटापे से मुक्ति दिलाने वाला भी होता है. आहार में रेशेदार खाद्य पदार्थों का सेवन करने से भोजन से तृप्ति का एहसास तो होता ही है साथ ही काफी लम्बे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है जिससे भूख जल्दी नहीं लगती. आहार में पर्याप्त सलाद, चटनी, अंकुरित अनाज, मोटे आटे की अथवा चोकरयुक्त आटे की चपाती, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, फली वाली सब्ज़ियां, फल आदि को शामिल करें. फलों के रस का सेवन करने के स्थान पर फल का ही सेवन करना चाहिए. आम के रस के स्थान पर आम ही खाना चाहिए. जहाँ तक हो सके सब्ज़ियों का छिलका नहीं निकलना चाहिए. इस प्रकार इन रेशेदार पदार्थों के सेवन से पाचन प्रणाली व् चयापचय प्रणाली ठीक होती है जिससे मोटापा तेजी से दूर होता है.

आहार को एकाग्रचित्त होकर चबा-चबा कर खाएं - भोजन को हमेशा उसके पूरे स्वाद को महसूस करते हुए ग्रहण करना चाहिए इससे भोजन से संतुष्टि जल्दी मिलती है और हम अनावश्यक आहार मात्रा को ग्रहण करने से बच जाते हैं. इसके लिए पूर्ण एकाग्रता के साथ प्रत्येक कौर को ३२ बार चबाते हुए आहार ग्रहण करना होता है. टीवी देखते हुए, अखबार पढ़ते हुए या अन्य कोई कार्य करते हुए कदापि आहार नहीं करना चाहिए क्यूंकि इससे हमारा ध्यान आहार में नहीं रहता. और आहार में संतुष्टि नहीं मिलने से आहार की अधिक मात्रा सेवन करने में आ जाती है. दरअसल भोजन को एकाग्रचित्त होकर और धीरे-धीरे चबाकर खाने से मस्तिष्क को सन्देश मिलता है की पेट भर गया है और हम कम आहार से ही संतुष्ट हो जाते हैं. चूँकि इस सन्देश को पहुँचने में करीब २० मिनट लगते हैं अतः हमें आराम से पर्याप्त समय लगाते हुए भोजन को परमात्मा का प्रसाद मान कर ग्रहण करना चाहिए.इससे हमें भोजन का पूरा स्वाद मिलेगा जो की संतुष्टि दिलाने में सहयोगी होता है.

आहार ग्रहण करते समय छोटे चम्मच का उपयोग करें - चम्मच से आहार ग्रहण करते समय छोटे चम्मच का प्रयोग करना चाहिए तथा आधा भरकर आहार ग्रहण करते हुए खूब चबाकर खाना चाहिए. इससे भी कम आहार मात्रा में ही संतुष्टि प्राप्त हो जाती है और मोटापे को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.

आहार में नमक व् शक्कर का सेवन कम करें - यदि हम अपने आहार से नमक व् शक्कर का सेवन न्यूनतम कर लें तो मोटापा बहुत तेजी से कम होता है व् शरीर सुडौल हो जाता है. जो लोग अपनने आहार में नमक व् शक्कर का सेवन संतुलित रूप से करते हैं वे मोटापे पर विजय पा जाते हैं.

कैलोरी व् मोटापे का सम्बन्ध - सामान्य जीवनचर्या वाले व्यक्ति के लिए १६०० कैलोरी के आहार सेवन से ही काम चल जाता है किन्तु हम स्वाद और मसाले के कारण अधिक आहार सेवन करके शरीर को निरंतर मोटापे की ओर अग्रसर करते जाते हैं. यदि आहार के माध्यम से ग्रहण की गयी कैलोरी और हमारे द्वारा किये गए श्रम में खर्च होने वाली कैलोरी के बीच संतुलन बनाये रखते हैं तो मोटापा कभी बढ़ नहीं सकता.

केवल स्वस्थ जीवनशैली ही मोटापा दूर करेगी - यदि व्यवस्थित जीवन शैली अपने जाये व् आहार को , संतुलित रूप से, शरीर के द्वारा की जाने वाली शारीरिक गतिविधि के अनुसार ग्रहण करते हुए पर्याप्त व्यायाम किया जाये तो निश्चित रुओ से मोटापा क्रमिक रूप से कम होता जाता है. मोटापा कम करने के लिए संतोष एवं पूर्ण निष्ठां के साथ काम करना होगा क्यूंकि धैर्य रखे बिना मोटापा कम नहीं किया जा सकता. उदाहरण के लिए १०० ग्राम की कचोरी में ४०० कैलोरी होती है वहीँ १०० ग्राम ककड़ी में मात्र १४ कैलोरी होती है. जहाँ ककड़ी खाने से पेट भर जाता है वहीँ १०० ग्राम की कचोरी खाने से ४०० कैलोरी श्री में जमा हो जाती है. इस प्रकार हम देख सकते हैं की आहार का सही समायोजन कर के यदि २००० कैलोरी का आहार ग्रहण करें व् २२५० कैलोरी श्रम करें तो एक निश्चित समय के बाद मोटापा स्वतः ही कम हो जायेगा. हम मोटापे को बैंक के खाते के रूप में समझे तो कितना रुपया जमा (कितनी कैलोरी का भोजन करते हैं) करते हैं और कितना रुपया खर्च (कितना व्यायाम करते हैं) करते हैं, यदि यह गणित हम समझ लें तो मोटापा कोई असाध्य रोग नहीं है. भोजन में सब्जियों, कम मीठे फलों व् अंकुरित अनाज के सेवन से व् नियमित रूप से कसरत व् तेज़ गति से पैदल चलने (प्रातः काल कम से कम एक घंटा ) से मोटापे पर आसानी से नियंत्रण पाया जा सकता है.

अपनी जीवनचर्या में सक्रियता, योग, व्यायाम, टहलना आदि को अवश्य स्थान दें - शरीर को अनावश्यक विश्राम देने और आवश्यक गतिशीलता न देने से मोटापा धीरे-धीरे बढ़ता जाता है. इसलिए अपनी जीवनचर्या को सक्रियता प्रदान करते हुए योग, प्राणायाम , घूमना व् अन्य शारीरिक गतिविधियों को अपनाकर मोटापा दूर किया जा सकता है. इसलिए जब भी अवसर मिले श्रम करने का अवसर नहीं छोड़ना चाहिए. जब भी अवसर मिले शरीर को गतिशीलता अवश्य प्रदान करनी चाहिए.

घर के कामों में सहयोग कर स्वस्थ बनें - घर के छोटे छोटे काम जैसे झाड़ू लगाना, पोंछा लगाना, पानी भरना, कपडे धोना आदि करना चाहिए. लिफ्ट की बजाये सीढ़ियों का प्रयोग करना, पैदल चलना, मोबाइल पर बात करते समय टहलना, टीवी के कार्यक्रमों में ब्रेक के समय टहलना तथा शाम को भी खाली पेट प्राणायाम करना आदि प्रयासों से निश्चित ही मोटापा नहीं बढ़ेगा.

तनाव से बचें व् मधुर संगीत सुनें - अपनी जीवनचर्या में ध्यान, प्राणायाम व् मधुर संगीत व् अन्य मनोरंजक गतिविधियों को स्थान दें ताकि शरीर और मन-मस्तिष्क तनावमुक्त रहे. संगीत व् ध्यान के माध्यम से शरीर समस्त स्तरों पर शांत होता है जिससे भूख की तीव्रता कम होती है और कम भोजन में ही मन संतुष्ट हो जाता है.

तो आहार,vihar, विश्राम व् व्यायाम के सही संतुलन से मोटापे पर विजय ही प्राप्त नहीं होती बल्कि शरीर सम्पूर्ण रूप से स्वस्थ व् निरोगी रहता है.