Bhringrajasava, भृंगराजासव

Bhringrajasava Ayurveda , भृंगराजासव आयुर्वेद उपयोग फायदे, Bhringrajasava quantity and dosage health benefits

Bhringrajasava, भृंगराजासव

Bhringrajasava Ayurveda , भृंगराजासव आयुर्वेद उपयोग फायदे, Bhringrajasava quantity and dosage health benefits

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Bhringrajasava (भृंगराजासव , Bhringrajasava (भृंग राज आसव , Bhring Raj Aasav)

Bhringraj Asava

भृंगराज यानी भांगरा नामक औषधि का परिचय, गुण एवं विभिन्न रोगों में इसकी उपयोगिता सम्बन्धी विवरण आप Biovatica के इस भृंगराज पेज में पढ़ ही चुके होंगे --> http://www.biovatica.com/bhringraj.htm

भृंगराज को मुख्य घटक के रूप में लेकर बनाये जाने वाले एक योग भृंगराजासव का परिचय हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं. दुबले पतले मनुष्यों को पुष्ट बनाने वाला यह योग बलकारक, वाजीकारक और बंध्या स्त्रियों को संतान सूख प्राप्ति कराने वाला है. लीजिये भृंगराजासव का विवरण प्रस्तुत है.

भृंगराजासव के घटक द्रव्य (ingredients of Bhringraaj aasav ) - भृंगराज १६ kg , गुड़ १२ किलो ५०० ग्राम, हरड़ ५०० ग्राम, पीपल, जायफल, लौंग, दालचीनी, बड़ी इलायची, तेजपान, नागकेशर - प्रत्येक १००-१०० ग्राम, धाय के फूल - १ kg .
भृंगराजासव निर्माण विधि (Bhringrajasava preparation method ) - १६ किलोग्राम भृंगराज को १२८ लीटर पानी में उबाल कर काढ़ा बनायें. जब ३२ लीटर शेष बच जाए तो छान कर उसे ठंडा होने दें. फिर घृत से लिप्त मिटटी के पात्र में इस काढ़े को डाल कर उसमे गुड़, हरड़ आदि सभी द्रव्य डाल दें तथा धाय के फूल को जौकुट कर चूर्ण कर मिलाएं. फिर पात्र को एक माह के लिए मिटटी के गड्ढे में दबा कर रख दें. एक माह बाद इसे छान कर साफ़ पात्र में सुरक्षित रख लें.

भृंगराजासव मात्रा और सेवन विधि (Bhringrajasava quantity and dosage ) - इस आसव की १० से २० मिली मात्रा दोनों वक़्त के भोजन उपरान्त सेवन करें.
भृंगराजसव के लाभ (Advantages and health benefits of Bhring Raj aasav ) - भृंग राज आसव धातुक्षय को दूर करता है एवं वीर्यवर्धक तथा सन्ततिवर्धक है. कोष्ठबद्धता में इस आसव का उपयोग बहुत लाभ करता है. बद्धकोष्ठ होने पर आँतों के भीतर मल का संचय अधिक होता है और मल सड़ता रहता है. इससे सेंद्रिय विष की उत्पत्ति होती है. यह विष श्लेष्मिक कला से अवशोषित हो रक्तादि धातुओं में प्रवेश करता है और विविध व्याधियों की उत्पत्ति होती है. इस विष की उत्पत्ति को यह आसव रोक देता है और विभिन्न रोगों से बचाव करता है. भृंगराजासव राजयक्षमा, खांसी, श्वासरोग, असमय के नेत्रविकार आदि में लाभदायक है. बन्ध्यत्व को दूर कर स्त्री की संतानवती बनाने वाला यह आसव सुस्ती, निर्बलता, प्रमेह, स्मरणशक्ति की कमी, बालों का सफ़ेद होना आदि विकारों को तो नष्ट करता ही है साथ ही दूषित हो चुके रक्त को शुद्ध भी करता है. भृंगराजसव आजकल कई आयुर्वेदिक दवा निर्माताओं द्वारा बनाया जाता है और आयुर्वेदिक दवाइयों की दुकानों में बैद्यनाथ, सांडू ब्रदर्स और डाबर आदि कंपनियों द्वारा निर्मित भृंगराज आसव मिलता है और बाज़ार से खरीदकर इसे आसानी से सेवन किया जा सकता है.