अर्थोलिन तेल (Artholin oil

अर्थोलिन तेल (Artholin oil ), आर्थोलिन तेल के फायदे , मात्रा और उपचार विधि: Artholin oil quantity dosage and application ,method…benefits

अर्थोलिन तेल (Artholin oil )

अर्थोलिन तेल (Artholin oil ), आर्थोलिन तेल के फायदे , मात्रा और उपचार विधि: Artholin oil quantity dosage and application ,method…benefits

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अर्थोलिन तेल (Artholin oil )

दर्दनाशक अर्थोलिन तेल
Artholin  oil

जिन स्त्री-पुरुषों के शरीर में आमतौर पर वात प्रकोप बना रहता है वे शरीर में कहीं न कहीं होने वाले दर्द से पीड़ित रहते हैं. ऐसे दर्द को वात जन्य शूल कहते है. गैस से पैदा होने वाली पीड़ा को आयुर्वेद में वात प्रकोप कहते हैं. वात प्रकोप होने से जोड़ों में दर्द, पसली और पेट का दर्द, हाथपैरों में दर्द, सिरदर्द, सायटिका, गठिया, आमवात आदि व्याधियां उत्पन्न होती हैं. इस प्रकार की सभी वातजन्य व्याधियों को दूर करने में सहायक सिद्ध होने वाला एक आयुर्वेदिक तेल है- आर्थोलिन तेल. इस तेल का परिचय प्रस्तुत है.

अर्थोलिन तेल के घटक द्रव्य ( ingredients of Artholin oil ) - अर्थोलिन तेल दरअसल कई योगों का मिश्रण है. इसके घटक द्रव्य हैं - महानारायण तेल १२ मिली, महाविष गर्भ तेल ६ मिली, महामाष तेल, बाला तेल, नीलगिरि तेल, कपूर तेल - चरों तेल ३-३ मिली. कुल मिलकर ३० मिली.

अर्थोलिन तेल निर्माण विधि (preparation method of Artholin oil ) - इन सबको बाजार से लाकर ऊपर अंकित अनुपात में, वज़न जितना ज़्यादा लेना चाहें उतना ज्यादा बढ़ा कर, मिला लें.

अर्थोलिन तेल मात्रा और सेवन विधि ( Artholin oil quantity , dosage and application ) - हथेली पर इस तेल की १०-१२ बून्द डाल कर , इस तेल को व्याधि ग्रस्त अंग पर लगा कर हलके हाथ से मालिश करें. दिन में तीन बार प्रयोग करें.

अर्थोलिन तेल के लाभ (advantages and health benefits of Artholin oil ) - आयुर्वेद में वात का शमन करने वाले सब तेलों में अर्थोलिन तेल सर्वश्रेष्ठ है. इस तेल को लगा कर मालिश करने से जोड़ों का दर्द, शोथ, सूजन, सायटिका, आमवात, सन्धिवात, एकांगवात आदि व्याधियों के कारण होने वाला दर्द दूर